सुबह-सुबह एक सपना आया। एक खूबसूरत सहकर्मी लड़की के साथ काम करते-करते छेड़खानी शुरू हुई। हंसी-मजाक, फिर प्यार का अफेयर। ऐसा लगा जैसे हम साल-दो साल साथ जी रहे हों – खुशियां, रोमांस, सब कुछ परफेक्ट। तभी आंख खुली। मन नहीं मान रहा था सपना छोड़ने का, लेकिन हकीकत ने झकझोर दिया। बिस्तर छोड़कर खड़ा हो गया।
फिर ट्विस्ट हुआ। वो दो साल का सपना एक सेकंड में ‘मेमोरी बुलबुले’ में सिमट गया – फूट गया! बस एक एहसास बचा। सोचा, असल जिंदगी में भी हमारी सालों की अच्छी-बुरी जिंदगी एक छोटे से बुलबुले में कैद हो जाती है। तो सवाल उठा: सपना हो या महासपना (जीवन), सब एक जैसे? बुलबुला सीमित उड़ान के लिए, तो क्या हमारी लाइफ रियल है या बस एक बुलबुला?
बुलबुले की सच्चाई
सपने में जो दो साल जिया, जागते ही वो ‘असली’ से ‘काल्पनिक’ बन गया। ठीक वैसे ही रियल लाइफ के 10-20 साल बाद सिर्फ कुछ सीन बचते हैं – एक दोस्त, एक शर्मिंदगी, एक जीत। स्कूल के साल, पहला प्यार, जॉब की शुरुआत – सब बुलबुले! फूटते ही यादों का झाग।
अगर सपना चलते हुए इतना रियल लगता है, तो ये ‘जागृत अवस्था’ भी शायद एक बड़ा सपना ही तो नहीं? जीवन की मूवी चल रही है – इमोशंस असली लगते हैं, लेकिन स्क्रीन अप्रभावित रहती है। तुम वो स्क्रीन हो, न कि मूवी का हीरो-विलेन।
बड़ा सवाल: असली क्या है?
सपने में ‘मैं’ बदलता रहता है – लवर, फ्रेंड, वर्कर। जागने पर बेड पर लेटा ‘मैं’ सब देखता है। वैसे ही जीवन के रोल्स बदलते हैं – पिता, पति, एम्प्लॉयी। लेकिन कौन देख रहा है ये सब? वो साक्षी जो कभी नहीं बदलता।
अद्वैत कहता है: जो आता-जाता है, बदलता है, वो तुम नहीं। तुम वो हो जो देख रहा है – सपने को, जीवन को। मौत पर ये लाइफ बुलबुला फूटेगा, बस स्टेट शिफ्ट होगा। नींद → सपना → जागरण; अब ये ‘जागरण’ भी हायर लेवल का सपना हो सकता है।
जागृति का सरल तरीका
- सुबह उठते ही 10 सेकंड रुको: “सपना गया, लेकिन देखने वाला वही हूं।”
- दिन में 2-3 बार पूछो: “ये सीन है, मैं सीन नहीं – देखने वाला हूं।”
- बॉडी, रिश्ते, सक्सेस बदलेंगे; ‘मैं हूं’ का फील कांस्टेंट रहेगा। उसी पर फोकस!
ये प्रैक्टिस जीवन को एंजॉय करने देगी, बिना अटैचमेंट के। बुलबुला फूटेगा, लेकिन तुम नहीं।
जागो, साक्षी बनो!
लाइफ बुलबुला है, लेकिन बेकार नहीं – ये जागने का मौका देता है। सपना हिला देता है, याद दिलाता है: तुम कैरेक्टर नहीं, पूरी मूवी के दर्शक हो। आज से ट्राय करो।
तुम्हारा कौन सा बुलबुला फूटा, जिसने ये एहसास कराया? कमेंट्स में शेयर करो, सबको जगा दें!
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