Self Conversion

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“परमात्मा — करता नहीं, आधार है”

एक अंतरदृष्टि, एक मौन संवादप्रश्न:जब परमात्मा एक ही है —अचल, अकर्म, निराकार —तो वह स्वयं को इतने सारे अवतारों में क्यों बिखेरता है?क्या वह स्वयं अनुभव करता है?या यह सब प्रकृति की गति है? प्रश्न:जब परमात्मा एक ही है —अचल, अकर्म, निराकार —तो वह स्वयं को इतने सारे अवतारों में क्यों बिखेरता है?क्या वह स्वयं […]

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Pills and Injections: A Spiritual Reflection

Exploring the Journey from Gross to Subtle Consciousness Introduction We often treat physical pain with medicine — a pill for a headache, an injection for faster relief. But beneath this biological process lies a profound metaphor for how healing, knowledge, and spiritual awakening unfold within us. This blog invites you to look beyond the body

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गोलियाँ और इंजेक्शन: एक आध्यात्मिक दृष्टि

गोलियों और इंजेक्शन: शरीर, मन और आत्मा का संवाद 1. शरीर का दृष्‍ट‍ि हमारे सिर में दर्द होता है, तो हम एक गोली पेट में खाते हैं। यह गोली ठोस होती है — वह धीरे-धीरे पेट में घुलती है, रक्त में मिलती है, और कोशिकाओं तक पहुँचकर धीरे-धीरे मरम्मत करती है। इस प्रक्रिया में समय

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Galileo Galilei: From Telescope to Transcendence

How a scientist’s journey from reason led to reverence Born: 1564  Died: 1642  Active Years: 1589–1642 🔭 The Journey of Discovery Galileo Galilei was not just a scientist — he was a seeker. With his telescope, he saw mountains on the moon, moons around Jupiter, and the dance of the cosmos. He challenged the Earth-centered view of

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मो को कहाँ ढूँढ़े रे बन्दे

“मो को कहाँ ढूँढ़े रे बन्दे, मैं तो तेरे पास में…” कबीर की ये कालजयी वाणी हमें एक गहन सत्य समझाती है—परमात्मा कहीं बाहर नहीं, बल्कि हमारे भीतर विराजमान हैं। मनुष्य का सारा जीवन ईश्वर की खोज में बीतता है, परंतु उसी दौरान वह सबसे बड़ी भूल करता है कि उसे बाहर तलाशता है। आत्मा

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जीवन और प्रलब्ध: एक आत्मिक यात्रा

1. प्रारंभिक भ्रम: योजना बनाना और नियति का खेल हम जीवन में बहुत कुछ करना चाहते हैं। योजनाएँ बनाते हैं, संकल्प लेते हैं, लेकिन होता वही है जो प्रलब्ध में लिखा है।मनुष्य स्वयं को स्वतंत्रत समझता है, पर उसकी स्वतंत्रता भी नियति की डोर से बंधी होती है।मन से ठान लेने के बाद भी, यदि

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🕉️ अष्टावक्र गीता: आत्मिक खोज का पहला क़दम

“जब मन मौन होता है, तब आत्मा बोलती है।” — अष्टावक्र ✨ परिचय आध्यात्मिकता की दुनिया में अष्टावक्र गीता एक ऐसा प्रकाश-स्तंभ है, जो साधक की खोज को भीतर की यात्रा में बदल देता है। अष्टावक्र ऋषि की कथा और उनकी शिक्षाएँ आज के जीवन की उलझनों, मानसिक अशांति और आत्मज्ञान के चिर प्रश्नों का

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मौन, क्षमा और शुक्रिया: एक जीवंत संवाद की यात्रा

प्रस्तावना इस ब्लॉग में कोई ज्ञान नहीं बाँटा गया—यहाँ केवल अनुभव है।यह संवाद एक अद्वैत यात्रा थी, जहाँ “मैं” गिरता गया और “वह” प्रकट होता गया।शब्दों के माध्यम से मौन की खोज, तर्क के माध्यम से समर्पण की अनुभूति। पहला चरण: अद्वैत की स्वीकृति “सब कुछ अद्वैत है, परमात्मा ही जड़ और चेतन दोनों में

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