“परमात्मा — करता नहीं, आधार है”
एक अंतरदृष्टि, एक मौन संवादप्रश्न:जब परमात्मा एक ही है —अचल, अकर्म, निराकार —तो वह स्वयं को इतने सारे अवतारों में क्यों बिखेरता है?क्या वह स्वयं अनुभव करता है?या यह सब प्रकृति की गति है? प्रश्न:जब परमात्मा एक ही है —अचल, अकर्म, निराकार —तो वह स्वयं को इतने सारे अवतारों में क्यों बिखेरता है?क्या वह स्वयं […]
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