अस्तित्व Vs प्रोग्रामिंग – भाग 1
हमारा अस्तित्व या सिर्फ एक प्रोग्रामिंग इंसान अपने अस्तित्व को समझने की कोशिश करता है, लेकिन उसकी पूरी ज़िंदगी एक प्रोग्रामिंग के पैटर्न पर चलती रहती है।जो हम “मैं” समझते हैं, वह ज़्यादातर हमारी कंडीशनिंग, संस्कार, परवरिश, संस्कृति, ट्रॉमा और समाज के इनपुट का परिणाम होता है। 1. प्रोग्रामिंग का मतलब क्या है? प्रोग्रामिंग का […]
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