नवरात्रि के चौथे दिवस माँ कूष्मांडा की उपासना का विशेष महत्व है। इन्हें ब्रह्माण्ड सृजन की आदि शक्ति माना जाता है, जिनकी पूजा से सांसारिक कष्ट दूर होते हैं और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग मिलता है।
सांसारिक विशेषता
- माँ कूष्मांडा को भक्तों के जीवन में सुख, आयु, आरोग्य, समृद्धि और सफलता का दाता माना जाता है।
- इनके प्रभाव से नकारात्मकता, भय और दरिद्रता का नाश होता है।
- इनकी पूजा से व्यक्ति को प्रतिष्ठा, आत्मबल और कार्यक्षमता प्राप्त होती है।
आध्यात्मिक विशेषता
- माँ कूष्मांडा की मुस्कान से ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति मानी जाती है, इसलिए इन्हें आदि-शक्ति की संज्ञा दी जाती है।
- माना जाता है कि यह अनाहत चक्र को नियंत्रित करती हैं, जिससे साधक को प्रेम, शुद्धता और करुणा की अनुभूति होती है।
- इनकी उपासना जीवन में ऊर्जा, स्थिरता और आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है।
विशेष पूजा विधि और फल
- मां कूष्मांडा की पूजा में पीला वस्त्र, कमल का पुष्प, मालपुआ का भोग, और जपमाला अर्पित करने की परंपरा है।
- श्रद्धा एवं भक्ति से मां की आराधना करने से अल्प प्रयास में ही उनकी विशेष कृपा मिलती है।
निष्कर्ष
माँ कूष्मांडा की उपासना सांसारिक, मानसिक और आत्मिक कल्याण की अनूठी राह है। उनकी साधना से साधक को जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं

