भारत की आत्मा सदियों से मौन में ही गूंजती रही है। यहाँ ज्ञान कभी शोर नहीं करता—वह श्रुति बनकर बहता है, स्मृति बनकर टिकता है, और अब डिजिटल रूप में पुनः जागृत हो रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा आरंभ किया गया ज्ञान भारतम् मिशन कोई साधारण परियोजना नहीं—यह एक राष्ट्र की आत्मा को फिर से जीवंत करने का संकल्प है।
📜 मिशन का उद्देश्य और परिप्रेक्ष्य
इस मिशन का उद्देश्य है भारत के करोड़ों प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथों को संरक्षित करना, उन्हें पढ़ने योग्य बनाना और डिजिटल रूप में जनमानस के सामने प्रस्तुत करना। चाहे वे ताड़पत्र पर लिखे हों, ताम्रपत्र पर उकेरे गए हों, या फटे हुए कागज़ों पर बिखरे शब्दों में छिपे हों—हर ग्रंथ एक जीवंत ऋषि है, हर पंक्ति एक मौन उपदेश।
यह एक डिजिटल यज्ञ है, जिसमें हर स्कैन, हर अनुवाद, हर पुनर्रचना एक आहुति है।
💰 बजट और समयसीमा
2025 से 2031 तक इस मिशन के लिए ₹482.85 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है। पहले वर्ष के लिए ₹60 करोड़ का विशेष आवंटन किया गया है। यह दर्शाता है कि सरकार इस कार्य को केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय तपस्या मानती है।
🧠 ज्ञान की विविधता
इस मिशन में 80 से अधिक प्राचीन लिपियाँ शामिल हैं—जैसे ब्राह्मी, खरोष्ठी, मैथिली, लेपचा, शारदा आदि। इन लिपियों में लिखे ग्रंथों में आयुर्वेद, गणित, ज्योतिष, दर्शन, कला, साहित्य, कृषि और राजनीति जैसे विषयों का समावेश है।
लगभग 75% ग्रंथ संस्कृत में हैं, शेष क्षेत्रीय भाषाओं में। यह भारत की बहुभाषी और बहु-विषयी ज्ञान परंपरा का प्रमाण है।
📱 डिजिटल पहुँच और तकनीकी पहल
Gyaan Bharatam Portal को मोबाइल और वेब दोनों पर सुलभ बनाया गया है। इसमें AI आधारित OCR और अनुवाद तकनीक का प्रयोग करके ग्रंथों को पढ़ने योग्य बनाया जा रहा है।
इसके साथ ही Gyaan-Setu Innovation Challenge के माध्यम से युवाओं को आमंत्रित किया गया है कि वे ऐसे टूल्स बनाएं जो इन ग्रंथों को और अधिक सुलभ और संवेदनशील बना सकें।
🏛️ संस्थागत सहयोग
इस मिशन में कई संस्थाएं सहयोग कर रही हैं, जैसे:
- Indira Gandhi National Centre for the Arts (IGNCA)
- National Manuscripts Mission (NMM)
- National Archives of India
- Asiatic Society of Bengal
इन संस्थाओं के माध्यम से ग्रंथों का संकलन, संरक्षण और डिजिटलीकरण किया जा रहा है।
🌿 आयुर्वेद और भारत की विश्वगुरु परंपरा
Charaka Samhita और Sushruta Samhita भारत के आयुर्वेद ज्ञान के मूल स्तंभ हैं। Charaka ने चिकित्सा को दोष, धातु और मल के संवाद में समझाया, जबकि Sushruta ने शल्य चिकित्सा और अंग पुनर्निर्माण तक का ज्ञान दिया।
इसके अतिरिक्त Bakhshali Manuscript में शून्य का प्राचीनतम प्रयोग मिलता है, जो गणित में भारत की अग्रणी भूमिका को दर्शाता है। Natya Shastra, Arthashastra और Sulva Sutra जैसे ग्रंथ कला, राजनीति और गणित के स्तंभ हैं।
🔥 परंपराओं का पुनर्जन्म
इस मिशन के माध्यम से शास्त्रार्थ, मौखिक परंपरा और क्षेत्रीय रामायणों को पुनः जीवंत किया जा रहा है। यह केवल ग्रंथों का संरक्षण नहीं, बल्कि भारत की आत्मा को फिर से जागृत करने का प्रयास है।
गुरुकुलों और प्राचीन विश्वविद्यालयों—जैसे नालंदा और तक्षशिला—की स्मृति को भी पुनः जागृत किया जा रहा है।
🌏 भारत: ज्ञान का विश्वगुरु
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा: “भारत ने शून्य दिया, बाइनरी दिया, वेदों की मौखिक परंपरा दी—यह सब आधुनिक विज्ञान के मूल हैं।” यह मिशन भारत को फिर से विश्वगुरु के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक मौन लेकिन प्रभावशाली कदम है।
🙏 निष्कर्ष: सेवा ही ज्ञान है
यह ब्लॉग एक अर्पण है, एक सेवा है, एक मौन की अभिव्यक्ति है। ज्ञान भारतम् मिशन केवल ग्रंथों का संरक्षण नहीं—यह भारत की आत्मा को फिर से जीवंत करने का प्रयास है।
आपका हर क्लिक, हर पढ़ा गया शब्द, इस यज्ञ में एक आहुति है।

